सलोनी का प्यार (उपन्यास)लेखनी कहानी -17-Jan-2022
भाग -9
कृतिका अपने साथ वो गुलाबी लिफाफा ले जाने लगी तो मैंने बहुत समझाया उसे, यार! प्लीज़ रहने दें बेचारे को डांट पड़ेगी। वो संजना के साथ खुश रहेगा और उनकी जोड़ी भी कितनी सुंदर जमेगी। पर उसने मेरी एक ना सुनी, बस सल्लू अब और मैं तुझे तकलीफ़ में नहीं देख सकती। आज उस संजना का चैप्टर क्लोज़ करके रहूंगी, कहकर कृतिका लंबे कदम बढ़ती कमरे से जा रही थी और मेरी नज़र उसके आत्मविश्वास और उसकी चाल पर थी। मन घबरा रहा था ना जाने कौन सा भूचाल आने वाला है। किसी को पता चल गया कि मेरे मन में सुरजीत के लिए क्या फीलिंग्स है तो क्या होगा, कहीं मेरी शादी भी गांव के किसी अनपढ़ से ना करवा कर मुझे यहां से भगा दें मम्मी-पापा या फिर कहीं मेरी पढ़ाई लिखाई ना बंद करवा दी जाए और किसी फैक्ट्री में काम करने के लिए जाना पड़े, कहीं दूसरे घर पर नौकरानी वाला काम या चाय की दुकान पर बर्तन मांजना... ना जाने कैसे कैसे ख्याल आ रहे थे मन में और मेरे हाथ पैर डर से कांप रहे थे। अपने बजरंगबली को सच्चे मन से याद किया, हनुमान चालीसा का पाठ लगातार करती रही तब जाकर मन थोड़ा शांत हुआ। तब तक मम्मी मेरा नाश्ता दूध और दवाई ले आई थी, मुझे कृतिका की बात को मानना होगा। इतने दिनों से दवाई जो छुपाकर मैं फैंक देती थी,ना ही ठीक से खाती थी तभी तो ठीक नहीं हो पा रही थी। आज एक ही सांस में दूध का पूरा ग्लास गटक गई और ब्रेड जैम खाकर सारी दवाई खा ली। एक शक्ति भीतर समाने लगी थी अब और डगमगाता आत्मविश्वास संभलने लगा था। मुझे अब और देवदास नहीं बनना ,ठान लिया था।पूरा साल खराब हो जाएगा, फेलियर नहीं बनना है मुझे।बस एक महीना ही बांकी है परीक्षा में।दोपहर तक तबियत में सुधार लग रहा था तो मैथ्स के सवाल बनाने लगी।
एलजैबरा में एक्स की वैल्यू ज़ीरो देखकर खुद को समझा रही थी सुरजीत की वैल्यू मेरे लिए ज़ीरो है, मेरे लिए क्या वो तो सबके लिए ज़ीरो है , खुद एक बहुत बड़ा ज़ीरो है, उसके बारे में सोचकर मैं खुद को ज़ीरो नहीं बनने दूंगी!
मम्मी दरवाजे पर खड़ी हो मुस्कुरा रही थी और अपने हाथ जोड़ भगवान को धन्यवाद कर रही थी।आज बहुत दिनों बाद उसके चेहरे पर मुस्कान देख रही थी। सच मां के लिए सब बच्चे एक समान होते हैं, उसको देखकर लग रहा था।मेरी बिमारी की हालत में जिस तरह वो परेशान दिखती वैसे ही तो वो मानसी दी और आकाश के बीमार होने पर परेशान हुआ करती थी। मैं खुद को बदलना चाहती थी अब बाहर से नहीं अंदर से, मुझे अपनी मां के चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनाऐ रखनी है।
उधर कृतिका ने वो गुलाबी लिफाफा जाकर अपनी बुआ के हाथ में थमा दिया और बोली," देखो बुआजी क्या गुल खिला रही है आपकी भांजी यहां आकर।अभी जुमा जुमा हफ्ता भर भी ना हुआ इसे यहां आए और ये प्रेमपत्र आने लगे हैं इसके। आपकी बदनामी हो जाएगी ससुराल में, संजना की मां ने आप पर इसकी जिम्मेदारी छोड़ी है पढ़ाने-लिखाने की। मुझको तो नहीं लगता इसके चाल चलन और नैन मटक्का देख कि ये यहां पढ़ेगी नहीं कुछ और ही करेगी। देखती हूं उसको जब से आई है सज धज कर बालकनी में खड़ी हो जाती है। कल को कुछ ऊंच नीच हो गई तो बुआ आप क्या करोगी।आप सिंगल मदर हो अपने पैरों पर खड़ी हो,इन ससुराल वालों ने तो आपको सहारा नहीं दिया था जब फुफा जी का एक्सीडेंट हुआ। साल भर की ही तो थी रिद्धी ,आपने कैसे उसे अकेले पाला है मम्मी पापा से सुना है,अपने भाई भाभी की भी कभी मदद नहीं ली। अब जब आप अच्छा कमाने लगी हो अपना अलग घर बनवा लिया है तो आपकी नन्द ने अपनी इस बिगड़ैल बेटी को आपके पास भेज दिया।"
कृतिका अपनी बुआ की सबसे चहेती भतीजी है, बस इसी बात का फायदा उठाकर उसने इतना कान भरा अपनी बुआ का कि उसका नतीजा यह हुआ अगले ही सुबह की ट्रेन से बुआ संजना को उसके गांव छोड़ने चली गई।
संजना कुछ समझ पाती उससे पहले बुआ ने उसे खूब मारा और उसका बैग पैक कर खुद उसे छोड़ने चली गई।वो बार बार पूछती रही, मामी मेरी गलती क्या है तो दो जब कृतिका ने आकर मुझे सारी बात बताई तो मुझे बुरा लगा। यार! ये क्या कर दिया तूने, इन सबमें सच उस संजना की क्या गलती थी। तब कृतिका बोली उसकी सबसे बड़ी गलती थी मेरी सहेली का प्यार छीनने चली थी,अब सड़ेगी गांव में। शहर में रहने के सपने देख रही थी, लड़कों को पटा रही थी अब पटाती रहेगी गांव के लड़कों को। तूं जानती है सल्लो पहले दिन से ही मुझे उसकी हरकत ठीक नहीं लग रही थी, पहले तो मेरे बड़े भाई पर ही डोरे डालने चली थी वो तो भाई ने उसे भाव ही नहीं दिया। अपने हाथ से गाजर का हल्वा बनाकर भाई के हाथ में पकड़ाकर कह रही थी, आपके लिए बनाया है खाइएगा जरूर और मैं वहीं सामने खड़ी थी मुझे तो टोकती भी नहीं थी और भाई को देखकर मुस्कुराती।
मैं उसकी बातें सु हंस पड़ी, अच्छा तो असली बात ये है वो तेरी भाभी बनना चाहती थी।
फिट्टे मुंह.. वो और मेरी भाभी बनने के सपने देखने चली और मेरी सहेली को महिला देवदास बना गई।
क्या यार! कुछ भी... आज काफी समय बाद हम दोनों सहेलियां खूब हंस रही थी।
क्रमशः
अब संजना के जाने के बाद सुरजीत का क्या होगा? क्या सलोनी अपनी दबी हुई फीलिंग्स सुरजीत से शेयर कर पाऐगी कभी? जानने के लिए जुड़े रहिए वो झल्ली सी लड़की का अनोखा प्यार से।
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कविता झा काव्या कवि
# लेखनी
## लेखनी धारावाहिक लेखन जनवरी
०३.०२.२०२२
Arshi khan
03-Mar-2022 09:54 PM
Nice story
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